Saturday, June 19, 2010

आधुनिक गीता



(1)
भारत में ही नहीं..
पुरे विश्व में
चर्चित राज्य बिहार.
जहां शासन था.
आधुनिक कृष्ण का
वही कृष्ण जिसके मुख में
बिहार ही नहीं
समा सकता है, पूरा भारत भी.
ट्रक ही नहीं.
स्कूटर पर भी
करा सकता है भैंस को,
एक शहर से दुसरे शहर तक की
लम्बी यात्रा.
हाँ वही कृष्ण
जो उपदेशक है.
आधुनिक गीता का.
(2)
कोई बात नहीं
होने दो नरसंहार,
बह जाने दो लोगों को
बाढ़ में,
मर जाने दो भूखे
सुखाड़ में.
(3)
घबड़ाओ नहीं
आत्मा अमर है.
वह न तो मरती है नरसंहार मैं,
न ही गलती है बाढ़ में.
और न ही भूख से तड़पती है
सुखाड़ में.
(4)
उसे तो मोक्ष की
प्राप्ति होती है.
वह त्याग देती है
इस नश्वर शरीर को,
जिसके जूते भी नहीं बनते
मरने के बाद.
(5)
तुम्हारा क्या गया?
जो तुम चिल्लाते हो,
बढ़ जाने दो टैक्स,
हो जाने महंगाई
छू जाने दो कीमतों को आसमान.
(6)
रे मुर्ख किसान
क्यों रोते हो ?
क्यों लगाते हो हम पर
झूठे इल्जाम ?
कहाँ बढ़ाई है हमने ?
कीमत तुम्हारे फसलों की.
जो चिलाते हो
महंगाई रोको ...
महंगाई रोको ...
हाँ थोड़ी कीमत बड़ी है
नमक पर, साबुन पर,
चीनी और तेल पर.
पर तुम्हे इससे क्या ?
ये तो किराना सामान है.
हाँ तोड़ी टैक्स बढ़ा है,
गाड़ियों पर.
लेकिन तुम्हे कहाँ जाना ?
अपने खेत छोड़ कर.
अगर जाना भी है
तो क्या ?
थोड़ा पैसा ज्यादा ही देदो.
तुम्हारा क्या जाता है ?
जो तुम रोरे हो.
जो लिया यहीं से लिया
जो दोगे यहीं दोगे.
(7)
क्या बकते हो ?
चोरी डकैती बढ़ी है,
गुंडागर्दी है इस राज्य में.
क्या रंगदारी टैक्स माँगा जाता है ?
तुम नहीं समझोगे,
परिवर्तन ही संसार का नियम है.
जो आज तुम्हारे पास है,
कल किसी और के पास था,
परसों किसी और के पास होगा.
इस लिए कुछ मत बोलो,
सिर्फ देखो
मूक बधिरों की तरह.
क्योंकि देखना नहीं,
बोलना पाप है.