Kavi Ki Thali  कवि की थाली

कविता अपने दिल से ........ और दिल हमारा है तुम्हारा क्या.........

Monday, July 9, 2012


Posted by सुमन कुमार at 6:26:00 AM No comments:
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चल मेरे साथ......

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सुमन कुमार
IMAMGANJ, BIHAR, India
बेहतर इंसानी जिंदगी की तलाश मे हमारी जिंदगी का ३० वर्ष गुजरा है..... तलाश निरंतर जारी है. गावं से निकलकर शहर में और फिर महानगर में, फिर भी तलाश पूरी नहीं होती, रास्ता तो राही ढूंढ़ लेता है, लेकिन जब मैं पीछे मूड कर देखता हूँ , तो लगता है पूरा दिन रास्ता बनाने में ही गुजर गया. थक कर किसी पेड़ की छाया मैं दो पल ठहराना चाहता हूँ , लेकिन............... क्योंकि मंजिल अभी भी उतना ही दूर नजर आता है, जितना सफ़र के शुरुआत मे था फिर........ मै ने पूछा चाँद से, देखा है कहीं, जिंदगी कोई हशीन, चाँद ने कहा पि रखि है क्या, इतनी दूर से भला देखा है कोई. किसी तरह जिंदगी का पता मिलता है तब तक रात हो चुकी है, रास्ते में एक मकान के दरवाजे पर रात बिताने की सोची अन्दर देखा....... कुड़ी मस्त है, माहौल जबरजस्त है. अपने अपने जाम में, सब कोई व्यस्त है. सोचा फ़ोन करके, हाल चाल पुछ लू जिंदगी का, पता चला इस रुट के सभी लाइन व्यस्त है. फिर सोचा इसी व्यस्ता मै आपसे दो चार बाते कर लू हो सकता है, जिंदगी के तलाश में पूरी जिंदगी ही न समाप्त हो जाए....... फिर एक दिन जब जिंदगी के फुल मुरझा जायेगे, भूले से ही फिर कभी हम तुझे याद आयेगे. एहसास होगी तुझे मेरे जैसे हमसफ़र का, हम दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चले जायेगे.............
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मैंने पूछा चाँद से..........

मैंने पूछा चाँद से..........
मैंने पूछा चाँद से देखा है कहीं............... चाँद ने कहा पी रखी है क्या, इतनी दूर से भला देखा है कोई........

माँ का प्यार..

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आपका आना कहाँ-कहाँ से है, कवि की थाली में...

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