कविता अपने दिल से ........ और दिल हमारा है तुम्हारा क्या.........
Saturday, March 13, 2010
मेरी कविता ..
सोच कविता बोल कविता बज रहा वह ढोल कविता नदी कविता पेड़ कविता खेत का हर मेड कविता दाये कविता बाये कविता जिधर देखो उधर कविता फिर भी मई ढुं ढं ता हूँ गई मेरी किधर कविता ..
जब कभी आप ये फैसला न ही कर पायें कि आज कवि की थाली के लिए खाने में कौन सी सब्ज़ी बनानी है तो फिर मिक्स वेज सब्जी..............तो है ही. तो आपको सब्जी का स्वाद कैसा लगा हमें भी बताइए.
लोग सुनो तुम मेरी बाते
ReplyDeleteदिन अभी है पर होगी रातें
रत कितना कष्ट दाई होता
मानव क्या सारा जिव रोता
आओ आज मिल जाएँ हम
बन जाएँ दीपक मिट जाये तम .........