Tuesday, June 8, 2010

मैं कवि नहीं हूँ


मैं कवि नहीं हूँ,
क्योंकि कोई भी गुण
नहीं है हमारे अन्दर
जो होता है,
एक कवि में.
न तो दिखने में ही
कवि लगता हूँ,
और कवियो वाली पोशाक भी
नहीं पहनता.
फिर भी न जाने क्यों?
ऐसा लगता है,
दिल के कोई कोने में,
छुपा है.....
मेरा कवि मन.
जो चाहता है,
मुझे कवि बनाना.
उसके अन्दर दृढ इच्छा है,
कठोर परिश्रम है,
जो बदल देगा,
मेरा बजूद.
हाँ देखना एक दिन
वह जरुर बदल देगा,
और ला खड़ा करेगा,
मुझे........
भविष्य में कभी
कवियों की लम्बी लाईन में.

1 comment:

जब कभी आप ये फैसला न ही कर पायें कि आज कवि की थाली के लिए खाने में कौन सी सब्ज़ी बनानी है तो फिर मिक्स वेज सब्जी..............तो है ही. तो आपको सब्जी का स्वाद कैसा लगा हमें भी बताइए.