कविता अपने दिल से ........ और दिल हमारा है तुम्हारा क्या.........
Wednesday, June 9, 2010
दोस्त,
दोस्ती की दिवार कितना कमजोर हो गया है, शायद......... इसकी जड़ में, रेत की मात्रा अधिक है या कहा जाए, रेत की धरातल पर टिकी है आज की दोस्ती. लोग मतलबी हो गये है, अपने मतलब साधने के लिए दोस्ती करते है, और मतलब पूरा होते ही टूट जाती है, दोस्ती.....
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जब कभी आप ये फैसला न ही कर पायें कि आज कवि की थाली के लिए खाने में कौन सी सब्ज़ी बनानी है तो फिर मिक्स वेज सब्जी..............तो है ही. तो आपको सब्जी का स्वाद कैसा लगा हमें भी बताइए.
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जब कभी आप ये फैसला न ही कर पायें कि आज कवि की थाली के लिए खाने में कौन सी सब्ज़ी बनानी है तो फिर मिक्स वेज सब्जी..............तो है ही. तो आपको सब्जी का स्वाद कैसा लगा हमें भी बताइए.